अनंत चतुर्दशी व्रत विधि, महत्व एवं कथा anant chaturdashi vrat vidhi, katha in hindi
anant chaturdashi vrat vidhi, katha in hindi
आज हम आपके लिए लाए हैं अनंत चतुर्दशी व्रत विधि महत्व एवं कथा । अनंत चतुर्दशी का व्रत हिंदू धर्म की सभी महिलाएं रखती हैं । यह व्रत महिलाएं मास के शुक्ल पक्ष की अनंत चतुर्दशी चौदस को रखती हैं चलिए अब हम पढ़ेंगे अनंत चतुर्दशी व्रत विधि महत्व एवं कथा को ।
अनंत चतुर्दशी व्रत विधि anant chaturdashi vrat vidhi in hindi
अनंत चतुर्दशी व्रत हमारे भारत में पुराने समय से ही रखा जाता है । यह व्रत भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए रखा जाता है। सभी महिलाएं अनंत चतुर्दशी व्रत को रखती हैं और भगवान विष्णु से सुख शांति एवं समृद्धि की कामना करती हैं । इस दिन सभी महिलाएं विष्णु भगवान जी का पाठ करती हैं । कुछ लोग अनंत चतुर्दशी के दिन घरों में सत्यनारायण की कथा भी करवाते हैं । यह कहा जाता है की अनंत चतुर्दशी के दिन सत्यनारायण भगवान की कथा करवाने से घर में सुख शांति एवं समृद्धि आती है ।
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अनंत चतुर्दशी के व्रत की पूजा करने के लिए सभी महिलाएं विष्णु भगवान की प्रतिमा के सामने 14 गांठ वाला धागा रखती हैं । विष्णु भगवान के साथ साथ उस धागा की भी पूजा की जाती है । इस व्रत की पूजा में चंदन ,अगरबत्ती, धूपबत्ती ,रोली ,चावल ,फूल माला का उपयोग होता है । विष्णु भगवान एवं 14 गांठ बाले धागे की पूजा की जाती है । पूजा करने के बाद विष्णु भगवान की कथा भी सुनाई जाती है । सभी महिलाएं इस कथा को बड़े ध्यान से सुनती हैं । पूजा के बाद 14 गांठ वाले धागे को सभी अपने हाथों में बांधते हैं। यह कहा जाता है की जो व्यक्ति अनंत चतुर्दशी के दिन 14 गांठ वाले धागे को अपनी कलाई में बांधता है वह सदैव सफलता की ओर बढ़ता है ।
अनंत चतुर्दशी व्रत का महत्व anant chaturdashi ka mahatva
अनंत चतुर्दशी का व्रत करने से घर में सुख शांति व समृद्धि आती है । यह व्रत इसलिए किया जाता है जिससे की सभी के घर में सुख शांति ,समृद्धि आए । यह कहा जाता है की कौरवों ने युधिष्ठिर के साथ छल कर के उसके राज्य को जीत लिया था तब भगवान कृष्ण ने उनको अनंत चतुर्दशी का व्रत करने के लिए कहा था इसीलिए हमारे देश में अनंत चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है । सभी महिलाएं अनंत चतुर्दशी के दिन व्रत रखती हैं और विष्णु भगवान की पूजा पाठ करती है जिससे कि उनके घर में खुशियां आए । हमारे भारत में अनंत चतुर्दशी व्रत का बड़ा ही महत्व है । अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश जी का विसर्जन भी किया जाता है । अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश जी भगवान की झांकियां निकाली जाती हैं । अनंत चतुर्दशी के दिन सभी अपने हाथों की कलाइयों में 14 गांठ वाला धागा बांधते हैं । अनंत चतुर्दशी के दिन सभी के घरों में पकवान बनते हैं ।
हमारे देश में अनंत चतुर्दशी को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है । अनंत चतुर्दशी के दिन पूरे बाजार में धूमधाम मची रहती है । अनंत चतुर्दशी के दिन सभी मंदिरों में पूजा पाठ करते हैं । अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है । अनंत चतुर्दशी के दिन सभी विष्णु भगवान से प्रार्थना करते हैं । लोग अपनी सुख शांति एवं समृद्धि की प्रार्थना करते हैं ।
अनंत चतुर्दशी व्रत की कथा anant chaturdashi vrat katha in hindi
एक सुमेत नाम का ब्राह्मण था उस ब्राह्मण की शादी दीक्षा से हुई थी । सुमेत बहुत बड़ा विद्वान पंडित था उसकी पत्नी भी पूजा पाठ में विश्वास रखती थी और विद्वान थी। दीक्षा ने एक पुत्री को जन्म दिया और उसका नाम सुशीला रखा था । धीरे-धीरे समय बितता गया सुशीला बड़ी होने लगी थी । अचानक ही सुशीला की मां बीमार हो गई थी और उसकी मृत्यु हो गई । सुशीला छोटी थी इसलिए उसका ध्यान रखने के लिए उसके पिता सुमेत ने अपनी बच्ची का पालन पोषण करने के लिए दूसरा विवाह करने का विचार बनाया और कर्कशा से विवाह कर लिया । कर्कशा सुशीला से खुश नहीं थी वह सुशीला से नफरत करती थी लेकिन सुशीला संस्कारी बच्ची थी उसके अंदर अपनी माता के संस्कार थे ।
वह कभी भी अपनी मां को बुरा भला नहीं कहती थी । समय गुजर जाने के बाद जब सुशीला की उम्र शादी के लायक हो गई थी तब उसका विवाह एक ऋषि से हो गया था । वह ऋषि सुशीला के साथ अपने माता पिता के साथ उसी आश्रम में रहने लगी थी लेकिन उसकी सौतेली मा कर्कशा उसके साथ अच्छा व्यवहार नहीं रखती थी जिसके कारण सुशीला को आश्रम छोड़ कर के जाना पड़ा था । सुशीला और उसके पति को दर-दर की ठोकरें खानी पड़ी थी । वह काम की तलाश में इधर उधर भटकते रहते थे । जब वह एक नदी के किनारे पहुंचे तब उन्होंने वहां पर विश्राम किया। सुशीला ने जब देखा की बहुत सारी औरतें सज धज कर हाथ में थाली लेकर पूजा कर रही हैं तब सुशीला उन महिलाओं के पास पहुंची और उनसे पूछा कि यह व्रत कैसे होता है और इस व्रत को करने के लिए क्या करना चाहिए तब उन महिलाओं ने सुशीला को बताया कि इस व्रत में विष्णु भगवान की पूजा की जाती है और अनंत सूत्र को हाथ में बांधा जाता है जो इस अनंत सूत्र को अपने हाथों मैं बांधता है उसकी सभी मुरादें पूरी होती हैं ।
उसी समय सुशीला ने व्रत करने की ठानी और विष्णु भगवान की पूजा अर्चना की अनंत चतुर्दशी के दिन व्रत रखा और अनंत सूत्र को उसने अपने हाथों में बांधा उसके बाद उसके पति के सारे दुख दूर हुए । जब सुशीला ने अपने पति से कहा कि यह सब अनंत भगवान की ही देन है तब उसके पति को गुस्सा आ गया उसने सोचा कि मैंने अपनी मेहनत से धन कमाया है और यह भगवान को इसका क्रेडिट दे रही है । उसने उसी समय अनंत सूत्र को अपने हाथों में से निकाल कर फेंक दिया था जिससे अनंत भगवान नाराज हो गए थे जिसके कारण सुशीला और उसका पति गरीब हो गए थे ।
सुशीला का पति दर दर की ठोकर खाने लगा था और जंगलों में भटकने लगा था । एक बार जंगल में उसे एक साधु मिला उसने उस साधु को अपनी सारी कहानी बता दी तब साधु ने उस व्यक्ति से कहा कि तुमने अनंत भगवान का अपमान किया था इस कारण तुम्हारी यह दशा हुई है अब तुम मेरा कहा मानो तो तुम अनंत भगवान की पूजा करो और रक्षा सूत्र हाथ में बांधों तो तुम्हारे सारे कष्ट दूर हो जाएंगे । सुशीला के पति ने उसकी बात मान ली और अनंत भगवान की पूजा अर्चना की और अपने पत्नी के पास वापस चला गया था । उसने कई सालों तक अनंत भगवान की पूजा अर्चना की ,व्रत किया तब जाकर उसके सारे कष्ट दूर हुए ,भगवान ने उनको माफ कर दिया और वह दोबारा से धनवान व्यक्ति बन गया था ।
यह कथा भगवान कृष्ण ने युधिस्टर को सुनाई थी जब कौरवों ने युधिस्टर के साथ धोखा किया था जिसके कारण युधिस्टर दुखी हो गए थे तब भगवान ने युधिष्ठिर को यह कहानी सुनाई थी और अनंत देव की पूजा करने के लिए एवं व्रत करने के लिए कहा था । उन्होंने कहा कि इस व्रत को करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं । तभी से हमारे देश में यह व्रत सभी लोग करते हैं इस दिन हमारे घरों में पूजा पाठ की जाती है और यह त्यौहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है ।
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