मेरे दादाजी पर निबंध Essay on grandfather in hindi

Essay on grandfather in hindi

mere dadaji essay in hindi-दोस्तों कैसे हैं आप सभी,दोस्तों आज का हमारा यह आर्टिकल मेरे दादाजी पर निबंध आप सभी के लिए बहुत ही हेल्पफुल है हमारे आज के इस निबंध से आप जानकारी लेकर अपने स्कूल, कॉलेज की परीक्षा में निबंध लिखने के लिए इसका उपयोग कर सकते हैं। यह आर्टिकल दादा जी के बारे में लिखा गया है यह आपको आपके दादा जी की याद जरूर दिला देगा चलिए पढ़ते हैं हमारे आज के निबंध को

Essay on grandfather in hindi
Essay on grandfather in hindi

हमारे जीवन में कुछ ऐसे लोग होते हैं जिनसे हम बहुत ही प्रभावित होते हैं जो हमें प्यार करते हैं जिनके सामने जब हम आते हैं तो उनका चेहरा खिल उठता है मेरे दादा जी भी कुछ ऐसे ही थे। आज मेरे दादाजी मेरे साथ नहीं है लेकिन उनकी कुछ यादें हैं मेरे साथ। मैं जब छोटा था तो अक्सर दादाजी के पास ही रहता था मुझे अपने माता-पिता से ज्यादा अपने दादाजी से लगाव था क्योंकि वह मुझे किसी भी बात के लिए मना नहीं करते थे।

अगर मैं कुछ खाने की जिद करूं तो वह मुझे अपने साथ मेरी उंगली पकड़कर मुझे पास की दुकान पर ले जाते थे और मुझे अपनी पसंदीदा खाने की चीज दिलवाते थे मैं बहुत ही खुश होता था। मेरे दादाजी कभी मुझको नहीं डांटते थे अगर मेरे मम्मी पापा मुझपर गुस्सा होते थे तो उनको ही डांटने लगते थे मेरे दादाजी मुझे बहुत ही लाड़-प्यार से रखते थे।

मैं अपने दादाजी की हर बात मानता था लेकिन जब भी मैं कुछ गलत करता था या पढ़ाई नहीं करता था तो वह मुझे जरूर डाटते थे। मेरे पापा दादा जी से अच्छी तरह पेश आते हैं थे उन्होंने कभी भी दादा जी को जवाब नहीं दिया मेरे दादाजी सुबह जल्दी जागते थे और मुझे भी जल्दी जगा देते थे। वह मुझे अपने साथ ही नहलाते थे और मेरी उंगली पकड़कर मुझे अपने साथ मंदिर ले जाते थे वह आध्यात्मिक थे मंदिर से आने के बाद हम नाश्ता करते थे।

मेरे दादाजी एक जॉब करते थे वह 9:00 बजे घर से निकल जाते थे इससे पहले हम दोनों मिलकर नाश्ता करते थे मैं स्कूल की बस से स्कूल चला जाता था और दादाजी अपनी जॉब पर चले जाते थे। शाम को हम 5:00 बजे ही मिल पाते थे मैं तो दोपहर 1:00 बजे स्कूल से आ जाता था लेकिन दादाजी शाम को 5:00 बजे ही आते थे शाम को आने पर वह मुझे अपने साथ नजदीक के पार्क में घुमाने ले जाते थे मुझे उनके साथ घूमने में बहुत अच्छा लगता था क्योंकि वहां पर मेरी तरह बहुत सारे बच्चे होते थे,हरे भरे पेड़ पौधे होते थे, कई तरह के रंग बिरंगे फूल होते थे यह सब देखकर मुझे बहुत ही अच्छा लगता था।

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शाम को आने पर हम एक ही साथ एक ही टेबल पर खाना खाते थे और एक ही कमरे में सोते थे मेरे दादाजी थोड़ा बहुत कंप्यूटर चलाना भी जानते हैं थे लेकिन मेरे बराबर कंप्यूटर नही चला पाते थे मैंने ही उन्हें कंप्यूटर सिखाया था मैं बहुत छोटा था लेकिन कंप्यूटर चलाने में उनसे अच्छा था क्योंकि हमारे स्कूलों में अक्सर कंप्यूटर चलाना सिखाते थे। रात में सोने से पहले दादाजी मुझे अपने साथ पढ़ाते थे अगर मुझे कुछ भी समझ में नहीं आए तो वह मुझे समझाते थे मैं अपने माता-पिता से ज्यादा अपने दादा जी के साथ रहना पसंद करता था।

कभी-कभी दादा जी मुझे कॉमिक्स पढ़ने की इजाजत भी देते थे वह मुझे समझते थे की कॉमिक्स पढ़ने में मुझे मजा आता है कॉमिक्स पढ़ने के बाद वह मुझे पढ़ाते थे। दादाजी मुझे बहुत सी ज्ञान की आध्यात्मिक बात बताते थे वो मुझे अपने माता-पिता, गुरुजनों, बड़ों का आदर करना सिखाते थे मेरे दादाजी बेहद ईमानदार थे हमेशा भ्रष्टाचार और बेईमानी से दूर ही रहते थे वह मुझसे कहते थे कि जीवन में ईमानदारी से ही कमाना चाहिए अगर हम ईमानदारी से मेहनत करके आगे बढ़ते हैं वास्तव में मेरे दादा जी बहुत ही अच्छे और प्यारे दादाजी है अक्सर जब भी मैं अकेला होता हूं तो मुझे मेरे दादाजी की याद आती है

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