सूखे फूल की आत्मकथा Sookhe phool kee aatmakatha

सूखे फूल की आत्मकथा

दोस्तों आज हम आपके लिए लाए हैं एक सूखे फूल की आत्मकथा। यह एक काल्पनिक लेख है तो चलिए पढ़ते हैं आज के हमारे इस आर्टिकल को 

मैं एक सूखा फूल हूं। मैं एक बहुत ही अच्छी पेडो की बगिया में उगा हूं। मेरा जन्म कई सारे फूलों के साथ सुबह के समय हुआ था। जब मेरा जन्म हुआ था तो मैं बहुत ही खुश था, मेरे चेहरे पर मुस्कान थी।

आज मैं भले ही सो गया हूं और किसी के मतलब का नहीं रहा हूं लेकिन आज से कुछ समय पहले मै खिला हुआ था उस दिन मेरी वजह से कई सारे लोगों के चेहरे पर मुस्कान आ गई थी। कई बच्चे एक दिन उस बगिया में आए हुए थे उन्होंने जब मेरे जैसे अन्य फूलों को उस बगिया में देखा तो वह काफी खुश हुए।

वह कुछ फूलों को तोड़कर अपने साथ ले गए, उन्होंने कुछ फूलों की खुशबू भी सूंघी वह अब मेरे पास भी आए थे और मुझ फूल को तोड़ने ही वाले थे तभी किसी ने उन्हें रोका और कहा कि यह फूल इस बगिया का सबसे सुंदर फूल है तुम उसे मत तोड़ो।

उस व्यक्ति के कहने पर उस व्यक्ति ने उस फूल को नहीं तोड़ा तब मैं बहुत ही खुश हुआ कि लोग मेरी कितनी देखभाल करते हैं। मैं इस बगिया का सबसे सुंदर फूल था लेकिन आज मैं सूख गया हूं। मुझे देखकर कोई भी मेरे पास नहीं आता लेकिन मुझे अपने जीवन से कोई बुराई नहीं है क्योंकि जीवन में हर किसी के साथ ही ऐसा होता है।

मनुष्य, जीव-जंतु, पेड़-पौधे सभी समय के साथ धीरे धीरे नष्ट होने लगते हैं, किसी का भी जीवन हमेशा चलायमान नहीं होता। मैं भी अब धीरे-धीरे सूख रहा हूं। मुझे एक बहुत बड़ी खुशी है कि चलो मैं सूखने से पहले ईश्वर के चरणों में चढ़ाया गया और लोगों के चेहरे पर कुछ समय तक मुस्कान लाया। अब मैं पूरी तरह से सूख जाऊं तो मुझे दुख नहीं होगा यही है मेरे जीवन की आत्मकथा।

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