सिकंदर और बूढी माँ

हेलो दोस्तों कैसे हैं आप सभी,दोस्तों काफी समय पहले की बात है जब सिकंदर पूरी दुनिया पर राज करना चाहता था उसने बहुत से देश जीत लिए थे चारों ओर लोग सिकंदर के बारे में बातें करते थे क्योंकि वह बहुत ही बलशाली और क्रूर था.सिकंदर के बारे में जानकर एक बूढ़ी मां बहुत ही दुखी होती थी वह हमेशा यही सोचा करती थी कि किसी का खून बहाकर पाई गई संपत्ति कभी भी सुख-शांति नहीं दे देती है.

एक दिन की बात है की सिकंदर ने एक नगर को चारों ओर से घेर लिया लेकिन जब उसे भूख लगी तो वह एक घर के सामने जाकर आवाज देने लगा तभी एक बूढ़ी मां उस घर के अंदर से निकल कर आई सिकंदर ने उनसे कहा कि मुझे जोर की भूख लगी है क्या आप मुझे कुछ खाने को दे सकते हैं? तभी बूढ़ी मां अंदर गई और एक थाली को कपड़े से ढककर ले आई जब सिकंदर ने उस थाली के ऊपर से कपड़ा हटाया तो उसने सोने चांदी की मुद्राओं को देखा उसने बूढी मां से सवाल किया कि मैंने तो खाना माँगा था में यह नहीं खा सकता

तभी बूढ़ी मां कहने लगी कि तुम्हारी भूख रोटियों से नहीं मिट सकती क्योंकि अगर तुम्हारी भूख रोटियों से मिट सकती तो तुम सोने-चांदी,धन दौलत को पाने के लिए बहुत सारे देशों पर आक्रमण ना करते और ना ही वहां की धन-दौलत लूटते तुम इतना सारा धन ले जाओ लेकिन मेरे नगर को,मेरे देश को छोड़ दो ऐसा सुनकर सिकंदर उस बूढ़ी मां के आगे झुक गया सिकंदर ने बूड़ी मा के चरण स्पर्श किए और फिर उस नगर को छोड़कर चला गया.

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