मैथिलीशरण गुप्त की कविता यशोधरा Maithili sharan gupt poems yashodhara
Maithili sharan gupt poems yashodhara
मैथिलीशरण गुप्त का जन्म उत्तर प्रदेश के झांसी में हुआ था इनके पिता रामचरण श्री रामचंद्र जी के भक्त थे इसलिए इनकी अधिकतर कविताओं में रामायण और महाभारत के कथानक आते हैं इन्होंने अपने जीवन में बहुत सारी रचनाएं की.इनकी कविताओं से बहुत कुछ सीखने को भी मिलता है आज हम इनकी लिखी हुई कविता यशोधरा पढ़ेंगे तो चलिए पढ़ते हैं आज की इनकी इस कविता को.

Image source- https://en.wikipedia.org/wiki/Maithili_Sharan_Gupt
सखि वे मुझसे कहकर जाते
कह तो क्या मुझको वे अपनी पथ बाधा ही पाते
मुझको बहुत उन्होंने माना
फिर भी क्या पूरा पहचाना
मेने मुख्य उसी को जाना
जो वे मन में लाते
सखि वे मुझसे कहकर जाते
स्वयं सुसज्जित करके छन में
प्रीतम को प्राणों के पन में
हमें भेज देती है रण में
क्षात्र धर्म के नाते
सखि वे मुझसे कहकर जाते
हुआ ना यह भी भाग्य अभागा
किस पर विफल गर्व अब जागा
जिस ने अपनाया था त्यागा
रहे स्मरण ही आते
सखि वे मुझसे कहकर जाते
नयन उन्हें है निष्ठुर कहते
पर इनसे जो आंसू बहते
सदय ह्रदय वे कैसे सहते
गए तरस ही खाते
सखि वे मुझसे कहकर जाते
जाये सिद्धि पावे वे सुख से
दुखी ना हो इस जन के दुख से
उपालब्ध दू में किस मुख से
आज अधिक वे भाते
सखि वे मुझसे कहकर जाते
गये लोट भी वे आवेंगे
कुछ अपूर्व अनुपम लावेगे
रोते प्राण उन्हें पावेगे
पर क्या गाते गाते
सखि वे मुझसे कहकर जाते
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