थोथा चना बाजे घना पर कहानी thotha chana baje ghana story
thotha chana baje ghana story
दोस्तों आज हम आपके लिए लाए हैं थोथा चना बाजे घना पर कहानी । चलिए अब हम पड़ेंगे इस कहानी को ।
एक बार एक गांव में शेर आ गया था । उस शेर ने कई सारे लोगों को नुकसान पहुंचाया था । वह शेर कुछ दिनों तक उस गांव में आतंक मचाता रहा फिर कुछ दिनों बाद वह उस गांव से जंगल की ओर चला गया था । उस गांव के लोग शेर के आतंक से बहुत डर चुके थे उस गांव में दो दोस्त रहते थे एक दोस्त का नाम राम था एवं दूसरे दोस्त का नाम श्याम था । उन दोनों की आपस में बहुत गहरी मित्रता थी वह एक दूसरे की मदद किया करते थे । वह साथ में स्कूल जाते एवं खेलते थे दोनों पढ़ाई में अच्छे नंबर लाते थे । स्कूल में उनको क्लास का मॉनिटर भी बनाया गया था । गांव में शेर आ जाने के कारण जो दहशत फैली हुई थी सभी के अंदर एक डर भर गया था जिसके कारण कई विद्यार्थी स्कूल नहीं जा पा रहे थे ।
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तब दोनों दोस्तों ने उन विद्यार्थियों के घर पर जाकर उनका हौसला बढ़ाया और स्कूल आने के लिए कहा । उसी स्कूल में एक मोहन नाम का लड़का पढ़ता था वह दोनों की मित्रता से खुश नहीं था । जब गांव वालों की दहशत को खत्म करने के लिए राम और श्याम ने लोगों को बताया कि यदि हम सभी मिलकर शेर का सामना करें तो वह हमारे गांव में कभी भी नहीं आएगा । मोहन इनकी बात को सुनकर क्रोधित हो उठा उसने राम और श्याम को नीचा दिखाने के लिए यह कहा की राम और श्याम हम सभी को शेर से घायल करवाने की बात कर रहे हैं । मोहन ने कहा की मैं शेर से लड़ चुका हूं वह शेर बहुत ही ताकतवर है । हम सभी उसका सामना नहीं कर सकते हैं जब वह शेर हमारे गांव में आया था तब उस शेर से मैं लड़ चुका हूं और उसे मैंने रोकने की बहुत कोशिश की थी ।
मोहन सब को भ्रमित कर रहा था मोहन यह चाहता था कि वह राम और श्याम की बात ना माने । मोहन अपने आपको ताकतवर और होशियार बताने की कोशिश कर रहा था । वह सभी को बढ़ा चढ़ाकर बात बता रहा था जबकि वह ना तो शेर से लड़ा था और ना ही उसने शेर का सामना किया था । राम और श्याम सभी को यह समझाने में लगे हुए थे कि यदि हम सभी मिलकर शेर का सामना करें तो उसे अपने गांव में कभी भी नहीं आने देंगे । मोहन सभी गांव वालों से कहने लगा की मैं उस शेर को हरा सकता हूं यदि आप लोग मेरी बात मान लो तो मोहन ने गांव वालों से कहा कि मैं अकेला उस शेर को जंगल की ओर भागा कर आऊंगा । सभी ने मोहन की बात को मान ली और मोहन उस तरफ जाने लगा जिस तरफ शेर भागा था। उस तरफ चला गया लेकिन वह अंदर से बहुत ही डरा हुआ था ।
वह एक मंदिर में जाकर रहने लगा 2 दिनों तक वह मंदिर पर ही रहा । 2 दिन बाद वह गांव में आता है और गांव के सभी लोगों से कहता है कि मैंने उस शेर को मार दिया है । अब किसी को डरने की आवश्यकता नहीं है और सभी मोहन की प्रशंसा करने लगे । मोहन सभी को शेर और उसकी लड़ाई को बढ़ा चढ़ाकर बता रहा था और सभी लोग ध्यान से सुन रहे थे । कुछ दिनों बाद जब सभी बाजार में काम कर रहे थे तभी वह शेर गांव में आ गया । पूरे गांव में भगदड़ मच गई थी तब गांव के सभी लोग मोहन को ढूंढने लगे और मोहन के पास जाकर बोले कि वह शेर वापस हमारे गांव में आ गया है चलो मोहन तुम उसको अपने गांव से भगाओ । मोहन के चेहरे का रंग उड़ गया था लेकिन वह क्या करता उसे शेर के सामने जाने के लिए गांव वालों ने मजबूर कर दिया था । जब मोहन के सामने शेर आया तब वह बेहोश हो गया था ।
उसी समय राम और श्याम ने गांव वालों से कहा कि अब हम सभी को उस शेर को चारों तरफ से घेर लेना चाहिए और उस शेर को बंदी बनाकर जंगल में छोड़ देना चाहिए । गांव के सभी लोगों ने राम और श्याम की बात को मानकर उस शेर को चारों तरफ से घेर लिया था और उस शेर को बंदी बनाकर जंगल में छोड़ आए थे । जब मोहन होश में आया तब उसने कहा था कि मैं कभी भी किसी शेर से नहीं लड़ा था मैं आपको वह कहानी झूठी सुना रहा था । तब गांव के कुछ लोग कहने लगे थे कि थोथा चना बाजे घना जेसी बात मोहन ने हमको बताई है । तभी मोहन ने सभी गांव वालों से माफी मांगी और कहा कि मैं कभी भी झूठ नहीं बोलूंगा और जो काबिलियत मेरे अंदर है उसके हिसाब से काम करूंगा मोहन ने राम और श्याम से माफी मांगी राम और श्याम ने मोहन को दोस्त बना लिया था ।
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Nice
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good story…….i am ging to learn it