डोंगरगढ़ मंदिर का इतिहास Dongargarh temple history in hindi

Dongargarh temple history in hindi

दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से डोंगरगढ़ मंदिर के इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं । चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस आर्टिकल को पढ़कर डोंगरगढ़ मंदिर के इतिहास को जानते हैं ।

dongargarh temple history in hindi
dongargarh temple history in hindi

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डोंगरगढ़ मंदिर का इतिहास काफी पुराना है । डोंगरगढ़ मंदिर के इतिहास के बारे में ऐसा कहा जाता है कि यह मंदिर 2000 साल पुराना है । कई लोगों की आस्था इस मंदिर से जुड़ी हुई है । डोंगरगढ़ मंदिर भारत के छत्तीसगढ़ राज्य के राजनांदगांव जिले में स्थित है । यह मंदिर बहुत ही सुंदर और अद्भुत दिखाई देता है । यह सबसे पुराना मंदिर है । यह मंदिर मां बमलेश्वरी देवी का मंदिर है । इस मंदिर से लोगों की आस्था जुड़ी हुई है । यह मंदिर ऊंचे पहाड़ों पर स्थित है ।

यह मंदिर सबसे चमत्कारी मंदिर है ।इस मंदिर पर जो भी आता है उसकी सभी मुरादें मां बमलेश्वरी देवी पूरी करती है । छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से इस मंदिर की दूरी तकरीबन 75 किलोमीटर है ।छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से इस मंदिर तक जाने के लिए कई साधन प्राप्त हो जाते हैं । उन साधनों के माध्यम से देश-विदेश से भक्तगण आकर मां बमलेश्वरी देवी के दर्शनों के लिए जाते है क्योंकि वहां पर जो भी भक्त जाता है वह खाली हाथ लौटकर नहीं आता है ।

मां बमलेश्वरी देवी सभी भक्तों की मुरादें पूरी करती हैं उनको मनचाहा वरदान देती हैं । इस मंदिर के निर्माण के बारे में ऐसा कहा जाता है कि जब उज्जैन के राजा विक्रमादित्य की लड़ाई कामाख्या नगरी के राजा कामसेन से हुई थी तब दोनों के बीच घमासान युद्ध हुआ था । कथाओं के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि उज्जैन के राजा की मदद करने के लिए उनके कुल के देवता महाकाल  युद्ध में आए थे और महाकाल के द्वारा कामाख्या की सेना को कुचला जा रहा था ।

यह देखकर कामाख्या नगरी के राजा ने उनके कुल की देवी बमलेश्वरी से प्रार्थना की और बमलेश्वरी देवी युद्ध क्षेत्र में उपस्थित हो गई थी । महाकाल ने बमलेश्वरी देवी को देखकर उनको प्रणाम किया और दोनों राज्यों के बीच समझौता हो गया था । इसके बाद कामाख्या नगरी के राजा कामसेन ने ऊंची पहाड़ी पर राजनांदगांव जिले में मां बमलेश्वरी देवी का मंदिर स्थापित किया था । ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर के निर्माण के बाद राजनांदगांव का विकास हुआ था , वहां के लोग विकसित हुए थे ।

पहले इस मंदिर पर जाने के लिए चिड़िया नहीं थी । अब इस मंदिर पर जाने के लिए तकरीबन 1000 सीढ़ियों से भी ज्यादा सीढ़ियां बनाई गई है । जिन  सीढ़ियों के माध्यम से सभी भक्तगण मां बमलेश्वरी देवी के दर्शनों के लिए जाते हैं और अपनी मुरादें पाकर वापस आते हैं । यह सबसे पुराना और अद्भुत मंदिर है । इस मंदिर से सभी लोगों की आस्था जुड़ी हुई है । बमलेश्वरी देवी का मंदिर पहाड़ी पर स्थित है और एक मंदिर पहाड़ी के नीचे भी स्थित है ।

बमलेश्वरी देवी का मंदिर सबसे पुराना होने के कारण सभी लोगों की आस्था इससे  जुड़ी हुई है । डोंगरगढ़ का यह मंदिर चमत्कारी मंदिर भी माना जाता है क्योंकि इस मंदिर पर जो भी भक्त गढ़ आता है उसकी सभी मुरादें पूरी हो जाती है । इस मंदिर के निर्माण की प्रक्रिया कामाख्या नगरी के राजा कामसेन ने प्रारंभ करवाई थी । आज इस मंदिर के दर्शनों के लिए काफी लोग दूर-दूर से आते हैं । डोंगरगढ़ मंदिर के चारो तरफ हरी भरी हरियाली दिखाई देती है ।

कई पर्यटक डोंगरगढ़ मंदिर के दर्शनों के लिए , घूमने के लिए आते हैं और मनचाहा वरदान मां बमलेश्वरी देवी से प्राप्त करते हैं ।

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