जयशंकर प्रसाद की कविता लहर Jaishankar prasad ki lahar kavita

Jaishankar prasad ki lahar kavita

जयशंकर प्रसाद जी एक महान कवि थे इनकी कई कविताये काफी प्रसिद्ध है इनका जन्म 30 जनवरी सन 1889 को वाराणसी उत्तरप्रदेश में हुआ था इनके पिता का नाम देवी प्रसाद साहू था जयशंकर प्रसाद के बचपन में ही इनके पिता की म्रत्यु हो गई थी. ये एक प्रसिद्ध कवि के साथ में साहित्यकार, लेखक, निबंधाकार थे जिन्होंने अपने जीवन में कई प्रसिद्ध कविताएं और साहित्य लिखे हैं जिसकी वजह से इन्हें जाना जाता है यह छायावाद के प्रमुख कवि हैं।

इन्होने अपनी काव्यरचना ब्रजभाषा में की इन्होने हिन्दी और खड़ी बोली का प्रयोग भी किया है आज हम जयशंकर प्रसाद के द्वारा लिखी कविता लहर पढ़ेंगे तो चलिए पढ़ते है जयशंकर प्रसाद जी के द्वारा लिखित कविता लहर को

Jaishankar prasad ki lahar kavita
Jaishankar prasad ki lahar kavita

image source-http://bharatdiscovery.org/

वे कुछ दिन कितने सुंदर थे
जब सावन घन सघन बरसते
इन आंखों की छाया भरते
सुरधनु रंजीत नव जलधर से

भरे क्षितिज व्यापी अम्बर से
मिले थे जब सरिता के
हरित कूल युग मधुर अधर थे
प्राण पपीहे के स्वर बाली

बरस रही थी जब हरियाली
रस जड़कन मालती मुकुल से
जो मदमाता गंध विधुर थे
चित्र खींचती थी जब चपला

नील मेघ पट पर वह विरला
मेरी जीवन स्मृति के जिसमें
खिल उठते वे रूप मधुर थे

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