जनरल डायर की जीवनी व् हिस्ट्री इन हिंदी General dyer history hindi

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General dyer – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से जनरल डायर के जीवन परिचय के बारे में बताने जा रहे हैं । चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और जनरल डायर की हिस्ट्री के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं ।

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Image source – en.m.wikipedia.org/wiki/The_Butcher_of_Amritsar

जनरल डायर के जन्म के बारे में – जनरल डायर का पूरा नाम रेजीनाल्ड एडवर्ड हैरी डायल था । जिसका जन्म 9 अक्टूबर 1864 को हुआ था ।

जनरल डायर के निधन के बारे में – जनरल डायर का निधन 24 जुलाई 1927 को लांग एस्टन सॉमरसेट  मे हुआ था ।

रेजीनाल्ड एडवर्ड हैरी डायल के बारे में – जनरल डायर ब्रिटिश शासन के समय में ब्रिटिश भारतीय सरकार का एक सेनाअधिकारी था । जो बहुत ही घमंडी था । जनरल डायर ने भारतीय ब्रिटिश शासन के दौरान सेनाअधिकारी का पद 1885 को प्राप्त किया था । जो 1920 तक इस पद पर विराजमान रहा था । जनरल डायर को पंजाब राज्य के अमृतसर में भेजने का विचार ब्रिटिश शासन के द्वारा किया गया था ।  1919 में जनरल डायर को पंजाब राज्य के अमृतसर में तैनात कर दिया था । जो वहां की व्यवस्थाएं देख रहा था । ब्रिटिश शासन की पंजाब राज्य की सेनाएं जनरल डायर के अंडर में थी ।

जनरल डायर जो आदेश सेना को देता था वह आदेश सेना को मानना पड़ता था । जनरल डायर के द्वारा सबसे बड़ा नरसंहार जलियांवाला बाग मे निर्दोष लोगों की हत्या करके किया था । जिसकी बुराई कई लोगों ने की थी । भारत देश में जब ब्रिटिश सरकार के द्वारा रौलर एक्ट अधिनियम कानून गैर सरकारी सदस्यों के विरोध करने के बाद भी  पास कराया गया था तब देश में अफरा तफरी मच गई थी । जब यह कानून पास कराया गया था तब देश के कई राज्यों में इस कानून की अवहेलना की गई थी ।  सभी इस कानून के विरोध में आबाज उठाने लगे थे ।

यह विरोध इतना बढ़ गया कि लोग ब्रिटिश शासन को नुकसान पहुंचाने के लिए भी तैयार हो गए थे । 10 अप्रैल को अमृतसर में  प्रदर्शन इस कानून को लेकर किया गया था । भारतीय नागरिकों ने इस कानून का विरोध जताने के लिए सड़कों पर उतरना प्रारंभ किया था । जब ब्रिटिश सरकार ने यह देखा कि लोग बगावत  पर उतर आए हैं तब ब्रिटिश शासन के दौरान सैनिकों को यह आदेश दिया गया कि जो भी इस कानून का विरोध करें उसको लाठियों से मारा जाए ।  ब्रिटिश शासन के सैनिकों ने कई निर्दोष भारतीयों की पिटाई की थी ।

इस विरोध प्रदर्शन में ब्रिटिश शासन के अधिकारी भी मारे गए थे । जब ब्रिटिश शासन के अधिकारी मारे गए तब ब्रिटिश शासन के पंजाब राज्य में कार्यरत जनरल डायर इसका बदला लेने के लिए उतावला हो रहा था । पंजाब राज्य की सरकार ने जनता पर बदले की भावना से कार्यवाही करना प्रारंभ कर दिया था ।  पंजाब राज्य के अमृतसर में सभी सभाओं पर प्रतिबंध भी लगा दिया था और निर्दोष भारतीयों पर अत्याचार किए जा रहे थे । परंतु भारत देश के स्वतंत्रता सेनानियों ने एकजुट होने के उद्देश्य से एक सभा आयोजित की थी ।

वह सभा जलियांवाला बाग में आयोजित की गई थी । जहां पर दूर-दूर से भारतीय स्वतंत्रता सेनानी एकत्रित हुए थे । जब इस बात की खबर जनरल डायर को लगी तब वह अपने सैनिकों के साथ जलियांवाला बाग में पहुंचा और उसने अपने सैनिकों को यह आदेश दिया था कि सभी भारतीयों को गोलियों से छलनी कर दिया जाए । जनरल डायर के आदेश पर निर्दोष लोगों की हत्या कर दी गई थी । कई लोग जिंदे कुआं में कूद गए तो कई लोग जान बचाने लगे थे ।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार जलियांवाला बाग हत्याकांड में तकरीर 379 भारतीयों की हत्या कर दी गई थी और तकरीबन 1200 से भी ज्यादा लोग घायल हो गए थे । इस नरसंहार की  आलोचना पूरे विश्व में की गई थी । परंतु जनरल डायर यह कारनामा करके अपने आप को शक्तिशाली मान रहा था । वह सोच रहा था कि उसने यह करके जगजीत लिया हो । इसी नरसंहार के कारण ब्रिटिश शासन की गर्दन शर्म से झुक गई थी । भारतीय लोगों ने इस नरसंहार की आलोचना की और इसका इंसाफ पाने की गुहार लगाई थी ।

इसके बाद ब्रिटिश शासन के दौरान इस हत्याकांड की जांच करने के आदेश दिए और इस घटना की जांच के आदेश करने के बाद एक कमेटी नियुक्त की गई थी । जिस कमेटी ने इस पूरी घटना की जांच पड़ताल की थी । जब जांच पड़ताल करने के बाद रिपोर्ट तैयार की गई तब उस रिपोर्ट में यह लिखा गया था कि जनरल डायर ने जो जलियांवाला बाग में निर्दोष प्राणियों की गोली मारकर हत्या की यह सही नहीं था । निर्दोष लोगों को मारना , उनकी हत्या करना गलत है ।

जब जनरल डायर को इस घटना पर जवाब मांगा गया तब जनरल डायर ने यह जवाब दिया था की नैतिक दूरगामी प्रभाव के लिए यह करना बहुत ही जरूरी था । इसलिए मैंने सेना को गोली चलाने के आदेश दिए थे । जनरल डायर बहुत ही घमंडी  सेना अधिकारी था । जिसको जलियांवाला हत्याकांड के बाद सेनाअधिकारी के पद से हटा दिया गया था ।

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