कमलादेवी चट्टोपाध्याय की जीवनी kamaladevi chattopadhyay biography in hindi

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दोस्तों आज हम आपके लिए लाए हैं कमलादेवी चट्टोपाध्याय के जीवन परिचय को । चलिए अब हम पढ़ेंगे कमलादेवी चट्टोपाध्याय की जीवनी को ।

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जन्म व् परिवार – कमलादेवी चट्टोपाध्याय एक स्वतंत्रता सेनानी थी जिन्होंने राष्ट्रहित के लिए कई कार्य किए थे ।कमलादेवी चट्टोपाध्याय का जन्म 3 अप्रैल 1903 को कर्नाटक के मेंगलोर में हुआ था । उनके पिता का नाम अनंथाया धारेश्वर था , जो मंगलोर के डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर थे । इनकी माता का नाम गिरिजाबाई था जो एक अच्छे परिवार से ताल्लुक रखती थी । गिरिजाबाई के अंदर संस्कार कूट-कूट के भरे हुए थे । वह बहुत ही संस्कारी महिला थी । उनके अंदर अधिक ज्ञान था । कमलादेवी चट्टोपाध्याय की दादी प्राचीन भारतीय दर्शन की प्रमुख जानकार थी ।

शिक्षा – कमलादेवी चट्टोपाध्याय जी ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई मेंगलोर से की थी । इसके बाद वह लंदन चली गई थी और लंदन के यूनिवर्सिटी के बेडफोर्ड कॉलेज से उन्होंने समाजशास्त्र की पढ़ाई करके डिप्लोमा प्राप्त किया था ।कमलादेवी चट्टोपाध्याय जी बचपन से ही पढ़ाई करना चाहती थी । इसलिए उन्होंने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई मन लगाकर पूरी की थी । आगे की  पढ़ाई उन्होंने लंदन की यूनिवर्सिटी से पूरी की थी । पढ़ाई पूरी करने के बाद वह भारत में वापस लौट कर आ गई थी । भारत में आने के बाद जब उन्होंने देखा कि अंग्रेज हमारे भारत में गलत इरादों के साथ काम कर रह रहे हैं तब उन्होंने महात्मा गांधी जी से प्रेरित होकर भारत को स्वतंत्रता दिलाने की शपथ ली थी ।

कमलादेवी चट्टोपाध्याय जी का योगदान – जब कमलादेवी चट्टोपाध्याय जी की उम्र 7 वर्ष की हुई थी तब उनके पिता का देहांत हो गया था और वह पूरी तरह से टूट गई थी । जब उनकी उम्र 12 वर्ष की हुई थी तब उनका विवाह करवा दिया गया था लेकिन उन्होंने विवाह के बाद अपनी पढ़ाई जारी रखी थी । 1917 में जब उनका पहला विवाह कृष्णा राव से हुआ था तब वह बिल्कुल भी खुश नहीं थी क्योंकि वह पढ़ाई करना चाहती थी । पहली शादी के 2 साल के बाद उनके पहले पति की मृत्यु हो गई थी । 1977 में उन्होंने अपनी पसंद से दूसरी शादी करने का फैसला किया और सरोजिनी नायडू के छोटे भाई हरेंद्रनाथ से उन्होंने विवाह करने का फैसला कर लिया था ।

1919 में उन्होंने हरेंद्रनाथ से विवाह कर लिया था । विवाह करने के बाद कमलादेवी चट्टोपाध्याय के रिश्तेदारों एवं समाज के लोगों ने इस विवाह का  विरोध किया था । कमलादेवी चट्टोपाध्याय और हरेंद्रनाथ विवाह के बाद लंदन चले गए थे लेकिन कुछ समय बाद दोनों में विवाद होने लगा था । दोनों की विचारधाराएं  मैच नहीं खा रही थी जिसके कारण दोनों को एक दूसरे से तलाक लेना पड़ा था ।कमलादेवी चट्टोपाध्याय जी की एक संतान हुई थी जिसका नाम उन्होंने रामकृष्ण चट्टोपाध्याय रखा था ।

समाज एवं राष्ट्र हित के लिए किए गए कार्य – कमला देवी चट्टोपाध्याय जी अपनी छोटी सी उम्र से ही राष्ट्र हित में कार्य  करना चाहती थी । यह एक अच्छी नारी थी । वह गांधीवादी भी कहलाती थी । कमलादेवी चट्टोपाध्याय ब्राह्मण जाति की थी जिन्होंने अपना जीवन देश को आजाद कराने एवं देश की महिलाओं को सम्मान दिलाने के लिए लगा दिया था । कमलादेवी चट्टोपाध्याय जी बचपन से ही महात्मा गांधी जी , मौलाना अबुल कलाम आजाद , कस्तूरबा गांधी , सरोजिनी नायडू से प्रभावित थी और  उनके आदर्शों पर चलना चाहती थी । इन सभी का वह सम्मान करती थी ।

कमलादेवी चट्टोपाध्याय महात्मा गांधी जी के आदर्शों पर चलती थी । उनके द्वारा बताए गए रास्तों पर चलती थी । 1923 में कमलादेवी चट्टोपाध्याय जी महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन से जुड़ी थी । 1920 में जब  उनकी  उम्र छोटी  थी तब वह राजनीतिक चुनाव में खुलकर सामने आई थी । उन्होंने 1930 में महात्मा गांधी के नमक कानून तोड़ने के आंदोलन में भी  हिस्सा लिया था । इस आंदोलन के बाद कमलादेवी चट्टोपाध्याय को गिरफ्तार कर लिया था और जेल में डाल दिया था । देश को आजादी दिलाने के लिए कई आंदोलनों में कमलाबाई चट्टोपाध्याय जी ने भाग लिया था और वह कई बार जेल भी चली गई थी ।

करीबन 5 साल तक वह ब्रिटिश शासन काल में जेल में बंद रही थी । देश की आजादी के बाद उन्होंने नारी जाति को सम्मान दिलाने के लिए महिला आंदोलन में अपना योगदान दिया था और आजादी के बाद ऑल इंडिया विमेंस कॉन्फ्रेंस की स्थापना उन्हीं के द्वारा की गई थी । आजादी के बाद कमलादेवी चट्टोपाध्याय जी को ऑल इंडिया हैंडीक्राफ्ट की प्रमुख नेता के रूप में चुना गया था । इसके बाद उन्होंने हस्तकला को बढ़ावा देने के लिए गांव गांव जाकर लोगों को जागरूक किया था । उन्होंने हस्तकला पर ध्यान देने के लिए सभी लोगों को जागरूक किया था । कमलादेवी चट्टोपाध्याय जीने समाज को सुधारने के लिए कई कार्य किए थे ।

समाज को संस्कारों के बंधन में बांधने के लिए कई कार्य किए थे । कमलादेवी चट्टोपाध्याय जी के योगदान से ही संगीत नाटक एकेडमी , नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा , क्राफ्ट काउंसिल ऑफ इंडिया , सेंट्रल कॉटेज इंडस्टरीज एंपोरियम का निर्माण हुआ था ।

इनकी प्रमुख पुस्तकें – कमलादेवी चट्टोपाध्याय जी ने समाज को सुधारने के लिए कई पुस्तकें लिखी थी जैसे कि द अवेकिंग ऑफ इंडियन वूमेन 1939 को लिखी थी ।इसके बाद उन्होंने 1943 में जापान इट्स विकनेस एंड स्ट्रैंथ पुस्तक लिखी थी । 1944 में उन्होंने वार टॉर्न चाइना पुस्तक लिखी थी । 1944 में अंकल सैम एंपायर पुस्तक भी लिखी थी ।

पुरस्कार – कमला देवी चट्टोपाध्याय जी को 1955 में पदम भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।  इसके बाद उनको सबसे बड़े पदम भूषण से 1987 में सम्मानित किया गया था । 1966 में कमलादेवी चट्टोपाध्याय जी को रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है ।1974 में लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है । यूनेस्को ने कमलादेवी चट्टोपाध्याय जी को 1977 में सम्मानित किया था । संगीत नाटक एकेडमी के द्वारा कमलादेवी चट्टोपाध्याय जी को फैलोशिप और रत्न सदस्य से सम्मानित किया गया था ।

मृत्यु – कमलादेवी चट्टोपाध्याय का निधन 29 अक्टूबर 1988 को हो गया था ।

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