आज के किशोरों में बढ़ती कुंठा का कारण और निवारण पर निबंध
आज के किशोरों में बढ़ती कुंठा का कारण और निवारण पर निबंध
दोस्तों आज हम आपके लिए लाए हैं किशोरों में बढ़ती कुंठा का कारण एवं निदान पर निबंध। आप इसे जरूर पढ़ें और अपनी परीक्षाओं में निबंध लिखने के लिए यहां से अच्छी तैयारी करें तो चलिए आगे बढ़ते हैं
आज के किशोरों में बढ़ती कुंठा से तात्पर्य निराशा से है। आज के समय में किशोरों में यह निराशा दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, इस कुंठा को दूर करना बेहद जरूरी है क्योंकि इसकी वजह से कई विद्यार्थियों का भविष्य खराब हो जाता है, कई विद्यार्थी इसकी वजह से अपना मानसिक संतुलन खो देते हैं, कई विद्यार्थी इतने निराश हो जाते हैं कि आत्महत्या कर लेते हैं ऐसे किशोरों की देखभाल करने के लिए गुरुजनों, मां-बाप सभी को आवश्यक कदम उठाने की जरूरत है जिससे हम इन किशोरों के जीवन को बचा सकें तो चलिए जानते हैं किशोरों में इस निराशा के कारण एवं निवारण को
किशोरों में बढ़ती कुंठा का कारण- किशोरों में दिन-प्रतिदिन कुंठा बढ़ती जा रही है, इसका कारण उनकी क्षमता से अधिक दबाव डालना भी होता है। कई बार मां-बाप, गुरुजन किशोरों पर उनकी क्षमता को पहचाने बगैर ही उन पर ज्यादा प्रेशर डालते हैं जिस वजह से वह निराशा में आ जाते हैं और कई ऐसे गलत कदम भी उठा लेते हैं जिससे उनका और उनके परिवार का जीवन बर्बाद हो जाता है।
यदि मां बाप और गुरुजन बच्चों की क्षमताओं को पहचाने और उसके मुताबिक उन्हें कार्य सौंपे तो बच्चे इस कुंठा के शिकार नहीं होंगे।
ज्यादातर मां-बाप अपने किशोरों के साथ दोस्ती जैसा भावा नहीं करते जिससे एक किशोर अपने माता पिता को, अपने परिवार के सदस्यों को अपने मन की बात नहीं बताता और वह अंदर ही अंदर घुटता जाता है। मां-बाप को चाहिए कि वह अपने बच्चों के साथ दोस्ती की तरह अच्छा व्यवहार करें जिससे बच्चे अपने मन की बात अपने मां-बाप को बताएं और मां-बाप उन समस्याओं को सॉल्व कर सकें।
मां बाप किशोरों को इतनी ज्यादा छूट दे देते हैं जिससे नासमझ किशोर गलत मार्ग पर भी चले जाते हैं और धीरे-धीरे वह कई ऐसी मुसीबतों में फंस जाते हैं जिससे वह निराशा में चले जाते हैं और कई समस्याओं में आ जाते हैं। मां बाप को अपने किशोरों को ज्यादा छूट नहीं देनी चाहिए क्योंकि ज्यादा छूट देने से बच्चे बिगड़ जाते हैं। मां-बाप को देखना चाहिए कि बच्चा कहां जाता है, किसके साथ जाता है एवं क्या करता है यह सब जानकारी मां-बाप को लेनी चाहिए।
कई किशोरों के ऐसे दोस्त नहीं होते जिनसे वह अपने दिल की बात कह सके, इस वजह से भी बहुत सारे किशोर कुंठा के शिकार होते हैं। किशोरों के ज्यादा से ज्यादा दोस्त होनी चाहिए जिससे वह अपने दिल की बात अपने दोस्तों के साथ शेयर कर सके क्योंकि कहते हैं कि अपनी समस्याओं को दूसरों को बताने से समस्याएं कम होती हैं।
कई मां-बाप, गुरुजन बच्चों को पढ़ाई करने के बारे में तो बताते हैं लेकिन यह नहीं बताते की जीवन में हार और जीत जरूर ही आती है, इससे लड़ना आना जरूरी है। अगर हम कभी किसी भी कार्य में हारे तो जरूर ही आगे उसमें जीतेंगे भी। मां-बाप एवं गुरुजनों को चाहिए कि वह अपने किशोरों को हार से दटकर सामना करने के लिए तैयार करें, तभी किशोर निराशा से निकल सकते हैं।
कई मां बाप एवं शिक्षक पढ़ाई के प्रति भी बच्चों पर ज्यादा दबाव डालते हैं जिससे बच्चे कुंठा के शिकार होते हैं। मां बाप और शिक्षकों को चाहिए कि किशोरों पर पढ़ाई के प्रति ज्यादा दबाव ना डालें क्योंकि इससे बच्चे निराशा का सामना करते हैं। बच्चों को उनकी क्षमताओं के अनुसार ही उन्हें होमवर्क देना चाहिए तभी बच्चे जीवन में आगे बढ़ सकते हैं और एक बहुत ही अच्छी जिंदगी जी सकते हैं।
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