सरबजीत सिंह की कहानी sarabjeet singh history in hindi

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sarabjit singh life story in hindi-दोस्तों आज हम आपके लिए लाए हैं सरबजीत सिंह जी की कहानी । चलिए अब हम पढ़ेंगे सरबजीत सिंह की कहानी को । सरबजीत सिंह का जन्म 1963 को भारत के पंजाब राज्य के तरुतारन जिले के भीखीविंद में हुआ था । इनके पिताजी का नाम सुलक्ष्ण सिंह ढिल्लों था । इनके पिता उत्तर प्रदेश के रोडवेज में नौकरी करते थे ।

उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी । उनके पिता ही पूरे परिवार का खर्चा चलाते थे । सरबजीत सिंह पढ़ाई में बड़ी रुचि रखते थे । मैट्रिक की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह खेती का काम करने लगे थे । खेतों में ट्रैक्टर चलाकर अपने परिवार की मदद किया करते थे । सरबजीत सिंह जी कबड्डी के बेहतरीन प्लेयर थे । सरबजीत सिंह मैट्रिक पास करने के बाद कबड्डी की प्रैक्टिस किया करते थे ।

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सरबजीत सिंह के पिता ने उनकी शादी 1984 में सुखप्रीत कौर से कर दी थी । वह शादी के बाद अपने परिवार के साथ खुशी से रह रहे थे । उनका पूरा परिवार खुशी से अपना जीवन यापन कर रहा था लेकिन अचानक से ही सरबजीत सिंह शराब के नशे में होने के कारण पाकिस्तान की बॉर्डर क्रॉस करके पाकिस्तान में चले गए थे ।

जब सरबजीत सिंह पाकिस्तान की बॉर्डर पर पहुंचे तब वहां के एक कर्नल ने उनको गिरफ्तार कर लिया था । सरबजीत सिंह को गिरफ्तार करने के बाद 15 दिनों तक सरबजीत सिंह से पूछताछ की गई थी और पाकिस्तान के कर्नल ने सरबजीत सिंह को कोर्ट में पेश किया था । पाकिस्तान के कर्नल ने सरबजीत सिंह को मनजीत सिंह के नाम से पेश किया था ।

पाकिस्तान के कर्नल ने सरबजीत सिंह पर फैसलाबाद, मुल्तान, लाहौर बम धमाके का आरोपी बनाकर कोर्ट में पेश किया था । पाकिस्तान के कर्नल ने सरबजीत सिंह को रॉ का एजेंट भी बताया था । सरबजीत सिंह कोर्ट में विनती करता रहा कि मैंने किसी तरह का कोई भी गुनाह नहीं किया है । मैं बेगुनाह हूं । मैं गलती से ,शराब के नशे में पाकिस्तान के अंदर आ गया था ।

मैंने किसी तरह का कोई भी बम धमाका नहीं किया हैं । मैं भारत का एक साधारण किसान हूं । मैं खेती करके अपने परिवार का जीवन यापन करता हूं लेकिन पाकिस्तान के कर्नल एवं पाकिस्तान की कोर्ट ने सरबजीत सिंह की एक भी बात नहीं मानी थी । पाकिस्तान की सरकार ने कई फर्जीवाड़े करके सरबजीत सिंह के खिलाफ सबूत बनाए थे ।

जो भी सबूत पाकिस्तान की सरकार ने सरबजीत सिंह के खिलाफ ,पाकिस्तान कोर्ट में पेश किए थे वह सबूत पूरी तरह से झूठे थे । पाकिस्तान की सरकार ने पाकिस्तान की कोर्ट में सरबजीत सिंह का पासपोर्ट पेश किया था । उस पासपोर्ट में फोटो सरबजीत सिंह की लगी थी और नाम खुशी मोहम्मद लिखा हुआ था । यह सारे सबूत झूठे थे ।

पाकिस्तान ने कई दिनों तक इस मामले की तारीख पे तारीख बढ़ाई । 2005 में पाकिस्तान की तरफ से एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें लिखा था कि सरबजीत सिंह ने अपना गुनाह कबूल कर लिया है । 2005 तक पाकिस्तान सरबजीत सिंह को मनजीत सिंह ही कहता रहा । सरबजीत सिंह को इंसाफ दिलाने के लिए उनकी पत्नी ,बहन एवं मानवाधिकार संगठन भी सामने आया था ।

इन्हीं के प्रयासों से पाकिस्तान सरकार के द्वारा किया गया फर्जीवाड़ा सामने आया था । कई सालों तक चले इस केस पर पाकिस्तानी सरकार फर्जीवाड़े पर फर्जीवाड़ा करती रही । 2008 में पाकिस्तान की कोर्ट ने सरबजीत सिंह को फांसी की सजा सुना दी थी लेकिन भारत सरकार के अथक प्रयासों के बाद, कूटनीतिक प्रयासों के बाद उसकी फांसी अनिश्चित काल के लिए टल गई थी ।

सरबजीत सिंह के साथ पाकिस्तान की जेल में अच्छा व्यवहार नहीं किया गया था । पाकिस्तान की जेल में जो कैदी थे वह भी सरबजीत सिंह के साथ दुर्व्यवहार करते थे । जेल के बड़े अधिकारी एवं पुलिस भी सरबजीत सिंह को परेशान करते थे । इस बात की खबर सरबजीत सिंह ने अपने वकील को कई बार लिखित रूप में दी थी ।

वकील के द्वारा पुलिस के अधिकारियों से बात की की गई थी लेकिन फिर भी सरबजीत सिंह की बातों पर विश्वास नहीं किया गया था । कोर्ट में भी इस बात को उठाया गया था लेकिन सरबजीत सिंह को उसी जेल में रखा गया था । एक दिन सरबजीत सिंह पर हमला हो जाता था । लोहे की रोड ,ईट से उसके ऊपर हमला किया गया था ।

उस हमले में वह पूरी तरह से घायल हो जाता है । हमले के बाद सरबजीत सिंह को जिन्ना हॉस्पिटल लाहौर में भर्ती करा दिया जाता है और सरबजीत सिंह कोमा में चला जाता है । कई दिनों तक कोमा में रहने के बाद सरबजीत सिंह की मौत हो जाती है । पाकिस्तान ने सरबजीत सिंह के मौत के बाद उसकी लाश को जब हिंदुस्तान भेजा तब हिंदुस्तान के डॉक्टरों ने उसका पोस्टमार्टम किया तो पता चला की सरबजीत सिंह के शरीर से काफी अंग निकाल लिए गए थे ।

उनकी बहन ने भी सरबजीत सिंह पर किए जा रहे अत्याचार को हॉस्पिटल में देखा था । जब सरबजीत हॉस्पिटल में भर्ती थे तब उनकी बहन एवं पत्नी को बड़ी मुश्किल से मिलने दिया गया था । जब उनकी बहन एवं पत्नी सरबजीत जी से मिलने गए तब उनके हाथों पर चोट के निशान देखकर उन्होंने डॉक्टर से कहा कि यह निशान कैसे हैं? तब डॉक्टर ने कुछ भी नहीं बताया था ।

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