न्यायपालिका पर निबंध Nyaypalika essay in hindi
Nyaypalika ki jawabdehi essay in hindi
Nyaypalika – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से न्यायपालिका पर लिखें निबंध के बारे में बताने जा रहे हैं ।चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस आर्टिकल को पढ़कर न्यायपालिका पर लिखे निबंध को गहराई से पढ़ते हैं ।
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न्यायपालिका के बारे में – न्यायपालिका सभी देशों के लिए बहुत ही आवश्यक है क्योंकि न्यायपालिका वह व्यवस्था है जिसके माध्यम से न्याय दिया जाता है ।न्यायपालिका उन सभी विवादों को सुलझाती है जो विवाद कई समय से चल रहे होते हैं । किसी भी देश के जनतंत्र के तीन प्रमुख अंग होते हैं और वह अंग कार्यपालिका , न्यायपालिका और व्यवस्थापिका आदि हैं । यह तीनों जनतंत्र देश की शक्ति और अखंडता को मजबूत करती है । इन तीनों जनतंत्र में से न्यायपालिका सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है ।
न्यायपालिका उन लोगों को दंडित करती है जो लोग कानून के दायरे में ना रहकर कोई अपराध करते हैं । न्यायपालिका के माध्यम से न्याय की व्यवस्था रखी गई है । जिस व्यवस्था का लाभ देश के नागरिक प्राप्त करते हैं । जब किसी व्यक्ति पर अन्याय हो रहा होता है तब वह व्यक्ति न्यायपालिका के माध्यम से इंसाफ प्राप्त कर सकता है । न्यायपालिका बड़े से बड़े और छोटे से छोटे विवादों को सुलझा कर न्याय देने का काम करती है ।जिससे अपराधों और अपराधियों में कमी होती है । जिसके माध्यम से देश में अपराध कम होते हैं और सभी सुखी जीवन जीते हैं ।
यदि न्यायपालिका मजबूत नहीं होगी तो कोई भी कानून के दायरे में नहीं रहेगा और कई हिंसक घटनाएं , अपराध बढ़ जाएंगे । विवादों को सुलझाने के लिए न्यायपालिका अप्रत्यक्ष रूप से समाज को सही रास्ता दिखाने और विकास का मार्ग दिखाने का कार्य करती है । न्यायपालिका सिर्फ न्याय देने का कार्य करती है । हमारे भारत देश के संविधान में शक्तियों के पृथक्करण का एक सिद्धांत है । जिस सिद्धांत के अनुसार न्यायपालिका स्वयं कोई नियम नहीं बनाती और ना ही संविधान के नियमों को बदलती है और ना ही न्यायपालिका किसी कानून का खंडन या क्रियान्वयन कराती है ।
न्यायपालिका नागरिक को न्याय दिलाने का काम करती है । भारत देश में न्यायपालिका बहुत शक्तिशाली बनाई गई है । न्यायपालिका के माध्यम से जो विवाद सुलझाए जाते हैं इन सभी मामलों में न्यायपालिका का निर्णय सर्वमान्य माना जाता है । भारत की स्वतंत्र न्यायपालिका का जो शीर्ष होता है वह शीर्ष सर्वोच्च न्यायालय होता है । सर्वोच्च न्यायालय का प्रधान न्यायधीश को बनाया गया है । जिसकी देखरेख में सर्वोच्च न्यायालय के कार्य होते हैं । सर्वोच्च न्यायालय के पास सभी उच्च न्यायालयों के बाद विवादों को समझाने एवं देखने का अधिकार होता है ।
जो सबूतों के आधार पर फैसला सुनाते हैं । जिस व्यक्ति को न्याय दिया जाता है वह व्यक्ति न्याय पाकर अपने जीवन को खुशियों से भरता है ।भारत देश में सभी नागरिकों को न्याय दिलाने के लिए भारत सरकार के द्वारा 25 उच्च न्यायालय बनाए गए हैं ।जिन उच्च न्यायालय में व्यवस्थापिका और न्यायपालिका के बीच में जो विवाद या मतभेद है उस विवादो को सुलझाने का कार्य राष्ट्रपति के द्वारा किया जाता है । भारत देश में न्याय पालिका के माध्यम से नागरिकों को न्याय देने का कार्य किया जाता है । जो सबूतों के आधार पर जजों के माध्यम से न्याय दिया जाता है ।
भारत देश के सभी राज्यो में राज्य न्यायपालिका भी बनाई गई हैं । जिस न्यायपालिका में तीन पीठे बनाई गई हैं । जिन 3 पीठ के माध्यम से नागरिकों को न्याय दिया जाता है । पहली पीठ एकल पीठ होती है । जिसके द्वारा दिए गए निर्णय को उच्च न्यायालय की जो खंडपीठ होती है वह खंडपीठ सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी जाती है । यदि एकल खंडपीठ में किसी भी तरह की त्रुटि होती है तब एकल खंडपीठ के द्वारा किए गए निर्णय को चुनौती देने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में अपील की जाती है । इसके बाद दूसरी पीठ खंडपीठ होती है ।
जिस खंडपीठ में दो से तीन जजों की एक कमेटी बनाकर तैयार की जाती है और इस खंडपीठ के द्वारा जो निर्णय सुनाया जाता है यदि कोई व्यक्ति इस खंडपीठ के निर्णय से संतुष्ट नहीं है तो वह उच्चतम न्यायालय में खंडपीठ को चुनौती दे सकता है । उच्चतम न्यायालय मे अपील करके खंडपीठ के द्वारा सुनाए गए फैसले को एक बार फिर से इंसाफ लेने के लिए , न्याय लेने के लिए मुकदमा दायर कर सकता है । इसके बाद तीसरी पीठ फुल बेंच होती हैं जिसको संवैधानिक न्याय भी कहते हैं ।
फुल बेंच के माध्यम से संवैधानिक व्याख्या से संबंधित जो समस्याएं होती हैं , जो विवाद होते हैं वह सभी विवाद यह पीठ सुलझाती है । जिसमें 5 सीनियर जजों की टीम बनाई जाती है । जिसके माध्यम से विवाद को सुलझाया जाता है । इसके बाद हम बात करते हैं अधीनस्थ न्यायालय की । अधीनस्थ न्यायालय वह न्यायालय होता है जहां पर सिविल अपराधिक जैसे मामलों की सुनवाई की जाती है । विभिन्न आपराधिक मामलों की सुनवाई अलग-अलग की जाती है । जिसमें दो तरह की कोर्ट बनाए गए हैं । पहला सिविल और दूसरा सेशन कोर्ट दोनों अलग-अलग होते हैं ।
सिविल एवं सेशन कोर्ट में जो जज नियुक्त किए जाते हैं वह जज एक सामान्य भर्ती परीक्षा के आधार पर उनकी नियुक्ति की जाती है और यह नियुक्ति माननीय राज्यपाल तथा मुख्य न्यायाधीश की सलाह पर की जाती है । इसके बाद न्यायपालिका के अंदर एक अतिरिक्त सत्र न्यायालय भी होता है । यह अतिरिक्त सत्र न्यायालय उन मामलों को सुलझाता है जो मामले लंबे समय से लंबित हुए होते हैं । यह अतिरिक्त सत्र न्यायालय अंडर ट्रायल लंबित अपराध विवादों को अति शीघ्र निपटाने का कार्य करता है । इसीलिए भारत देश में न्यायपालिका को संविधान का रक्षक , संरक्षक कहा गया है ।
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