रामनरेश त्रिपाठी की जीवनी Ram naresh tripathi biography in hindi

Ram naresh tripathi biography in hindi

हेलो दोस्तों कैसे हैं आप सभी,दोस्तों आज हम जानेंगे रामनरेश त्रिपाठी के बारे में.दोस्तों Ram naresh tripathi एक ऐसे महान कवि हैं जिन्होंने अपनी कविताओं के जरिए महान ख्याति पाई है.ये लिखित कविता,कहानी,जीवनी,उपन्यास आदि लिख चुके हैं वह हिंदी साहित्य की दुनिया में अमर हो चुके हैं.रामनरेश त्रिपाठी किसी परिचय के मोहताज नहीं रह गए हैं क्योंकि स्कूल की किताबों में उनके लेख,उनकी कविताएं प्रचलित हैं चलिए जानते हैं रामनरेश त्रिपाठी के पूरे जीवन के बारे में.

Ram naresh tripathi biography in hindi
Ram naresh tripathi biography in hindi

Image source- http://sohumconsciousness.com/dr-ram-naresh-tripathi-ji/

रामनरेश त्रिपाठी जी का जन्म 4 मार्च 1889 को उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले के कोइरीपुर मैं हुआ था इनके पिता का नाम रामदत्त त्रिपाठी था इनके पिता एक ब्राह्मण थे लेकिन वह भारतीय सेना में एक सूबेदार के पद पर भी काम कर चुके थे.उनके पिता में आत्मविश्वास,शिष्टाचार के प्रेरणादाई थे ये गुण रामनरेश त्रिपाठी जी में भी देखने को मिलते हैं.रामनरेश त्रिपाठी जी का जब जन्म हुआ तो उन्होंने सबसे पहले अपने स्कूल में पढाई की और उसके बाद वह आगे की पढ़ाई करने के लिए जौनपुर जिले में चले गए.

रामनरेश त्रिपाठी जी एक ऐसे महान इंसान थे जिन्हें बचपन से ही कविता,कहानियां लिखने का बड़ा ही शौक था बचपन में जब वो स्कूली पढ़ाई कर रहे थे तभी से इनकी परिवार से थोड़ी अनबन हो गई जिस वजह से वह कोलकाता चले गए.कुछ समय बाद इन्हें पता चला की इन्हें एक संक्रामक रोग हो चुका है तो वह अपने पिता के पास घर नहीं गए लेकिन वह एक राजपूताना परिवार में रुके.वहां पर राम नरेश त्रिपाठी जी की देखरेख की गई और परिवार वालों ने संक्रामक रोग से दूर करने के लिए उचित उपचार करवाया.त्रिपाठी जी इस व्यवहार से काफी खुश हुए उन्होंने उनके बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया.

राम नरेश त्रिपाठी जी ने अपने जीवन में अनेक कविता,कहानियां,उपन्यास आदि लिखें उन्होंने 1911 में वीरांगना और वीर वाला उपन्यास लिखा उन्होंने 1924 में लक्ष्मी न्यास लिखा उन्होंने अपने जीवन में कुछ अन्य कृतियां जैसे कि सुभद्रा, जयंत, prem Rog आदि लिखी.इनके द्वारा रचित कविताएं मिलन, पथिक, स्वप्न आदि बहुत ही फेमस है उन्होंने अपने जीवन में ग्राम गीतों का संकलन भी लिखा है दरअसल वह रात रात भर गांव के घरों के पीछे बैठकर शादी विवाह के गीत सुना करते थे और उन्हें लिखा करते थे उनकी सरस्वती वंदना पर लिखी रचना काफी प्रसिद्ध है.

यह स्कूल-कॉलेजों में गाया जाता है ये रचना “हे प्रभु आनंद दाता ज्ञान हमको दीजिए” हर एक छात्र में सरस्वती देवी के प्रति आदर की भावना जागृत करती है और हमको प्रेरणा देती हैं.पाठी जी महात्मा गांधी जी से बड़े ही प्रभावित हैं खड़ी बोली के कवियों में भी उनका नाम मशहूर है उन्होंने जीवन में अपनी कृतियों के द्वारा जीवन में एक बहुत बड़ी उपलब्धि हासिल की है इन्होंने अपनी रचनाएं खड़ी बोली, हिंदू,उर्दू में लिखी हैं.

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16 जनवरी 1962 को रामनरेश त्रिपाठी जी का सुल्तानपुर में देहांत हो गया लेकिन अपनी लिखी हुई कृतियों के कारण यह महान लेखक इतिहास में हमेशा हमेशा के लिए जानें जायेंगे.दोस्तों रामनरेश त्रिपाठी जी ने अपने जीवन में जो भी किया वह प्रेरणादायक है हमें भी अपने जीवन में कुछ बड़ा करना चाहिए जिससे हम हमेशा अमर हो सके.हमको भी अपने अंदर छुपी खूबियों को पहचानना चाहिए,अपनी छुपी खूबियों को पहचान कर अपनी रुचियों के हिसाब से कुछ करना चाहिए जिससे हम सफल हो सके और लोगों के दिलों पर राज कर सके.

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