पथिक कविता रामनरेश त्रिपाठी Pathik poem by ramnaresh tripathi

पथिक कविता रामनरेश त्रिपाठी Pathik poem by ramnaresh tripathi

Pathik poem by ramnaresh tripathi-रामनरेश त्रिपाठी जी छायावादी युग के एक महान कवि थे जिन्होंने अपने जीवन में कविता,कहानी,उपन्यास,जीवनी आदि लिखी थी,इन्होने अपने पूरे जीवन में लगभग सौ से ज्यादा पुस्तके लिखी थी जिन्हें लोगो ने बेहद पसंद भी किया हैं.इनके पिता एक ब्राह्मण थे इनमे बचपन से कविता लिखने के प्रति बहुत ही रूचि थी.

Pathik poem by ramnaresh tripathi
Pathik poem by ramnaresh tripathi

Image source- http://sohumconsciousness.com/dr-ram-naresh-tripathi-ji/

रामनरेश त्रिपाठी जी ने अपने जीवन में बहुत सी कविताएं जैसे पथिक कविता,मानसी,स्वप्न,मिलन,चतुर चित्रकार आदि कविताएं लिखी.आज हम रामनरेश त्रिपाठी जी के द्वारा लिखित पथिक कविता लिखने वाले जो काफी बेहतरीन कविताओ में से एक हैं तो चलिए पढ़ते है इनकी इस कविता को.

प्रतिक्षण नूतन वेश बनाकर रंग बिरंग निराला.

रवि के सम्मुख थिरक रही है नभ में वारिद माला.

नीचे नील समुद्र मनोहर ऊपर नील गगन है.

मन पर बैठ,बीच में बिचरू यही चाहता मन है.

 

रत्नाकर गर्जन करता है मलयानिल बहता है.

हरदम यह होसला ह्रदय में प्रिये भरा रहता हैं.

इस विशाल विस्तृत,महिमामय रत्नाकर के घर के.

कोने कोने में लहरों पर बैठ फिरू जी भर के.

 

निकल रहा है जलनिधि ताल पर दिनकर बिम्ब अधूरा.

कमला के कंचन मंदिर का मानो कान्त कंगूरा.

लाने को निज पुन्य भूमि पर लक्ष्मी की असवारी.

रत्नाकर ने निर्मित कर दी स्वर्ण सड़क अति प्यारी.

 

निर्भय दृढ,गंभीर भाव से गरज रहा सागर है.

लहरों पर लहरों का आना सुन्दर,अति सुन्दर हैं.

कहो यहाँ से बढकर सुख क्या पा सकता है प्राणी?

अनुभव करो ह्रदय से,हे अनुराग भरी कल्याणी.

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