पुजारी और डाकू Hriday parivartan story in hindi

दोस्तों काफी समय पहले एक गांव के मंदिर में एक पुजारी जी रहा करते थे उनके पास एक बहुत ही बढ़िया घोड़ा था वह हमेशा घोड़े की सेवा किया करते थे,वह अपने घोड़े को अपने लड़के की तरह प्यार करते थे और
hriday parivartan story in hindi

कुछ समय भगवान की पूजा पाठ करने में बिताते थे,उसी गांव में खड़क सिंह नाम का एक डाकू था जो कि पुजारी जी को बहुत सम्मान देता था,एक दिन वह पुजारी जी से मिलने के लिए आया और पुजारी जी के पैर छुए और जब वह उनसे बातचीत कर रहा था तब उस डाकू की नजर पुजारी जी के घोड़े पर पड़ी,वह उस घोड़े को देख कर बहुत ही अचंभित हुआ क्योंकि घोड़ा बहुत ही आकर्षक था और बहुत ही बेहतरीन था पुजारी जी से उसने कह दिया कि पुजारी जी एक दिन मैं आपके घोड़े को आपसे दूर कर अपने साथ ले जाऊंगा.

पुजारी जी ने उस समय उससे कुछ नहीं कहा,वह डाकू अब वहां से चला गया,उस दिन से पुजारी जी बहुत ही चिंतित रहने लगे उन्होंने सोचा अब तो मेरा प्यारा घोड़ा मुझसे बहुत दूर चला जाएगा,धीरे-धीरे समय गुजरता गया काफी दिन बीत गये लेकिन डाकू नहीं आया पुजारी जी ने सोचा शायद अब वह इस घोड़े के विषय में बिल्कुल भूल चुका है,अब इसको नहीं ले जाएगा

लेकिन एक दिन पुजारी जी किसी काम के चलते कहीं जा रहे थे की रास्ते में उन्हें एक भिखारी मिल गया इसका चेहरा भी सही से नहीं दिख रहा था,उसने पुजारी से कुछ मांगा पुजारी जी जैसे ही घोड़े पर से उतरे तो वह एकदम से घोड़े पर चढ़कर जाने का प्रयत्न करने लगा,पुजारी जी ने गौर किया तो वह कोई भिखारी नहीं बल्कि वही डाकू खड़क सिंह था.

खड़क सिंह ने कहा कि पुजारी जी अब मैं आपके इस घोड़े को आपसे बहुत दूर ले जाऊंगा,दोस्तों तभी पुजारी जी ने उस खड़क सिंह को रोका और कहा तू भले ही इस घोड़े को ले जा लेकिन एक मेरी बात मान डाकू खड़क सिंह ने कहा कि पुजारी जी मैं आपकी हर बात मानूंगा लेकिन आप यह बिल्कुल मत कहना कि घोडा मुझे वापस कर दे.

पुजारी जी ने कहा हां बिल्कुल मैं आपसे सिर्फ यही मांगना चाहता हूं कि आप भले ही मेरे घोड़े को साथ ले जाइए लेकिन किसी से भी इस वृतांत की चर्चा मत करना तब डाकू खड़क सिंह कहने लगा क्यों? तब पुजारी जी कहने लगे कि अगर तुम इस व्रतांत की चर्चा करोगे तो कोई भी गरीब दुखी और भिखारियों पर विश्वाश नहीं करेगा,उन्हें कुछ भी नहीं देगा और उन पर विश्वास नहीं करेगा सभी तुम्हारी तरह हर एक व्यक्ति को समझेंगे

इस बात को सुनकर डाकू खड़क सिंह बहुत देर तक सोचता रहा उसको समझ नहीं आ रहा था कि अब मैं क्या करूं तब डाकू खड़क सिंह वहां से चला गया और पुजारी जी भी अपने घर की ओर चले गए,रात में बड़ी मुश्किल से पुजारी जी की नींद लगी और जब सुबह उनकी नींद खुली तो उन्होंने देखा कि उनके सामने उनका प्यारा घोड़ा बंधा हुआ है दरअसल डाकू खड़क सिंह समझ चुका था कि इतना अच्छा इंसान जिस को सिर्फ दूसरों की पड़ी है उसके साथ कुछ भी गलत करना सही नहीं है,खड़क सिंह पूरा बदल चुका था.

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